SEBI ने शेयर ट्रेडिंग में नकली मुद्रा के इस्तेमाल पर लगाई रोक, वर्चुअल गेमिंग प्लेटफॉर्म पर नकेल कसी
नई दिल्ली, प्रकाशन: बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने कुछ ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म, ऐप और वेबसाइट पर वर्चुअल लेनदेन सेवाओं या फैनटेसी गेम (fantasy game) के बारे में यह पाया था कि ये सूचीबद्ध कंपनियों के वास्तविक समय के शेयर मूल्यों के उतार-चढ़ाव पर आधारित हैं। कुछ प्लेटफॉर्म पर असल में वर्चुअल शेयर पोर्टफोलियो के प्रदर्शन के आधार पर मौद्रिक प्रोत्साहन भी दिए जा रहे थे। इसके अलावा वर्चुअल ट्रेडिंग में शेयरों की खरीद-बिक्री में असली मुद्रा का इस्तेमाल नहीं हो रहा था।
ये ऐप बिल्कुल डब्बा ट्रेडिंग(box trading or bucketing) के समान काम कर रहे थे। इससे शेयर बाजार के निवेशकों के लिए खतरे पैदा हो रहे हैं।
इस आकलन के आधार पर पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के रियल टाइम मूल्य आंकड़े को विभिन्न मंचों सहित तीसरे पक्ष के साथ साझा करने के मानदंड जारी किए हैं।
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सेबी ने इन ऐप्स को नियंत्रित करने के लिए शेयर बाजारों और डिपॉजिटरीज के लिए निर्देश जारी किया है:
- सेबी ने स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरीज को कहा है कि वे किसी भी शेयर की कीमत खासकर रियल टाइम प्राइस के डेटा को थर्ड पार्टी के साथ शेयर न करें।
- सेबी का कहना है कि अगर डेटा का इस्तेमाल एजुकेशन या मनोरंजन के लिए हो रहा है, तब तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर मौद्रिक लाभ दिए जाते हैं, तो यह डब्बा ट्रेडिंग के जैसा हो जाता है, जो कि अवैध है।
वर्चुअल ट्रेडिंग कैसे काम करती है:
बाजार में ऐसे कई ऐप मौजूद हैं जो गेमिंग ऐप की श्रेणी में सूचीबद्ध हैं। ये ऐप शेयर बाजार के रियल टाइम डेटा का इस्तेमाल कर यूजर्स को वर्चुअल ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं। वर्चुअल ट्रेडिंग में शेयरों की खरीद-बिक्री का खेल होता है। वर्चुअल ट्रेडिंग के पीछे ऐप और अन्य प्लेटफॉर्म शैक्षणिक और मनोरंजन के उद्देश्यों का हवाला देते हैं। उनका कहना होता है कि इस तरह से वर्चुअल ट्रेडिंग की सुविधा देकर वे लोगों को शेयर बाजार के बारे में और ट्रेडिंग के बारे में शिक्षित करते हैं। कई सारे ऐप शेयरों की वर्चुअल ट्रेडिंग के साथ नकद लाभ जोड़ देते हैं। सेबी को इसी बात से आपत्ति हुई है।
कहां है गड़बड़?
- नकली मुद्रा, असली नुकसान: पहली दिक्कत ये है कि वर्चुअल ट्रेडिंग में इस्तेमाल होने वाला पैसा असली नहीं होता। इससे यूजर्स को वास्तविक जोखिम का अंदाजा नहीं लग पाता।
- गेम बन गया जुआ: कुछ प्लेटफॉर्म पर वर्चुअल पोर्टफोलियो के अच्छा प्रदर्शन करने पर असली पैसा जीतने का भी लालच दिया जाता है। इससे यह गेम जुए की तरह हो जाता है।
- डब्बा ट्रेडिंग का साया: सेबी को सबसे बड़ी चिंता है कि ये वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म डब्बा ट्रेडिंग को बढ़ावा दे सकते हैं। डब्बा ट्रेडिंग में एक ही व्यक्ति या संस्था अलग-अलग खातों से फर्जी ट्रेडिंग कर शेयरों के नकली रूप से बढ़ा-घटा सकती है।
सेबी का एक्शन: डेटा शेयरिंग पर लगी पाबंदी
इन गंभीर खतरों को देखते हुए सेबी ने सख्त कदम उठाए हैं। सेबी ने निर्देश जारी किया है कि स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी किसी भी सूरत में सूचीबद्ध कंपनियों के रियल टाइम शेयर मूल्य का डेटा किसी भी थर्ड पार्टी के साथ शेयर नहीं कर सकते। इसका मतलब है कि अब वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को रियल टाइम डेटा नहीं मिल पाएगा।
क्या होगा अब?
सेबी के इस कदम से माना जा रहा है कि वर्चुअल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म को अपना बिजनेस मॉडल बदलना पड़ सकता है। अगर ये प्लेटफॉर्म सिर्फ एजुकेशन और मनोरंजन के मकसद से काम करते हैं, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। लेकिन अगर वह किसी भी तरह का जुआ या असली पैसा जीतने का लालच देते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
निवेशकों के लिए अच्छी खबर
सेबी का यह कदम निवेशकों के लिए अच्छी खबर है। इससे शेयर बाजार में पारदर्शिता बढ़ेगी और डब्बा ट्रेडिंग जैसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगेगी।