युवाओं को निगल रहा ‘शॉर्ट्स स्कैम’, सोचने-समझने की शक्ति कमजोर, सरकार भी लाचार!-Shorts scam
शॉर्ट्स बनाओ शॉर्ट्स देखो और गुलाम बन जाओ
इस स्कैम से सरकार भी नहीं बचा पायेगी |
नई दिल्ली: आजकल युवाओं में एक नया ‘शॉर्ट्स स्कैम’ (Shorts Scam) पनप रहा है, जिसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। एक हालिया शोध में पाया गया है कि भारत के युवाओं की सोचने-समझने की क्षमता कमजोर हो रही है, फैसले लेने की शक्ति कम हो रही है और धैर्य की कमी भी देखी जा रही है।
इंस्टाग्राम रील्स और यूट्यूब शॉर्ट्स (Instagram Reels and YouTube Shorts) के बढ़ते प्रभाव के कारण यह स्थिति पैदा हो रही है। धीरे-धीरे युवाओं को छोटे-छोटे वीडियो देखने की आदत लग गई है, जिसके कारण वे घंटों इन प्लेटफॉर्म पर व्यर्थ समय बिताते हैं। पहले लोग यूट्यूब पर लम्बी वीडियो देखकर ज्ञान अर्जित करते थे, लेकिन अब सिर्फ मनोरंजन और गाने-बाजे पर ही ध्यान दिया जाता है।
30-60 सेकंड के वीडियो (30-60 second videos) में कोई भी ज्ञान या शिक्षा नहीं दी जा सकती। इस ‘शॉर्ट्स स्कैम’ के कारण भारत में तेजस्वी और ओजस्वी युवाओं की कमी हो रही है, डॉक्टर और इंजीनियर बनने लायक युवा कम हो रहे हैं।
यदि सरकार (Indian government) इस स्थिति को गंभीरता से नहीं लेती है, तो आने वाले समय में भारत विदेशी डॉक्टरों और इंजीनियरों पर निर्भर हो जाएगा।
छोटे वीडियो का नकारात्मक प्रभाव:
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- एकाग्रता में कमी: छोटे वीडियो लगातार बदलते रहते हैं, जिससे दिमाग एकाग्र नहीं हो पाता और सोचने-समझने की क्षमता कमजोर होती है।
- सहनशक्ति में कमी: तुरंत परिणाम दिखाने वाले छोटे वीडियो युवाओं को धैर्यहीन बना देते हैं, जिससे वे आसानी से हार मान लेते हैं।
- निर्णय लेने में कठिनाई: छोटे वीडियो में प्रस्तुत जानकारी अक्सर अधूरी और भ्रामक होती है, जिससे युवाओं को महत्वपूर्ण निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
- विषय बदलना (change of topic): छोटे वीडियोस में विषय (topic) लगातार बदलते रहते है , इस कारण कभी आप दुखी होते है, कभी सुखी, कभी मोटीवेटेड फील करते है और कभी कभी दुसरो की लाइफ स्टाइल देख कर हीन भावना भी आती है कि मेरी जिंदगी ऐसी क्यों नही है |
- अल्पकालिक ध्यान: छोटे वीडियो तुरंत संतुष्टि प्रदान करते हैं, जिससे युवाओं में धैर्य और सहन शक्ति की कमी आती है।
- गहन ज्ञान का अभाव: 30 या 60 सेकंड के वीडियो में कोई भी गहन ज्ञान नहीं दे सकता।
- विश्लेषणात्मक सोच का अभाव: छोटे वीडियो में जटिल विषयों को सरल बनाकर पेश किया जाता है, जिससे युवाओं में विश्लेषणात्मक सोच विकसित नहीं हो पाती।
- समस्या समाधान कौशल का अभाव: छोटे वीडियो समस्याओं के समाधान नहीं देते, बल्कि मनोरंजन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
देश के लिए खतरा:
- कुशल जनशक्ति की कमी: यदि युवाओं में सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है, तो देश में कुशल डॉक्टरों, इंजीनियरों और वैज्ञानिकों की कमी हो सकती है।
पिछले कुछ समय से इंजीनियरिंग और मेडिकल के लिए प्रतिस्पर्धा एग्जाम देने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई है |
अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ सालो बाद हमारे देश में प्रति व्यक्ति डॉक्टर्स की कमी और बढ़ सकती है जो की पहले से ही काफी कम है |
- आर्थिक विकास में बाधा: कुशल जनशक्ति की कमी से देश का आर्थिक विकास बाधित हो सकता है।
अभी लोगो को और यहाँ तक कि सरकार को भी लग रहा है कि शॉर्ट्स या वीडियोस से देश के युवा कमाई कर रहे है। ये बात सच है कि कुछ युवा इस से कमाई कर पा रहे है लेकिन समझने वाली बात ये है कि ये सारे प्लेटफॉर्म्स विदेशी है और जिस दिन भारत और उन देशो में किसी भी प्रकार कि अनबन हुई तो इतने सारे वीडियो क्रिएटर्स का क्या होगा। कुल मिला के हम अभी भी विदेशी कंपनियो और विदेशियो के गुलाम ही है |
- विदेशी निर्भरता: यदि हम डॉक्टरों और इंजीनियरों के लिए विदेशी मुल्कों पर निर्भर हो जाते हैं, तो यह देश की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए खतरा पैदा कर सकता है।
इस खतरे से बचने के लिए (To avoid this danger):
- युवाओं को सोशल मीडिया (social media) के अत्यधिक उपयोग से बचना चाहिए।
- उन्हें लम्बी और ज्ञानवर्धक वीडियो (long and informative videos) देखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- पुस्तकें पढ़ने (reading books) और अन्य रचनात्मक गतिविधियों (other creative activities) में समय बिताना चाहिए।
- माता-पिता और शिक्षकों (parents and teachers) को भी युवाओं को इस ‘शॉर्ट्स स्कैम’ से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।
यही समय है कि हम सब मिलकर इस खतरे को समझें और युवाओं को उचित मार्गदर्शन देकर उन्हें देश का भविष्य बनाने के लिए तैयार करें।