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पुलिस क्यों है इनसे परेशान (इस तरह से करते है फ्रॉड की न जगह का पता चलता है, न मोबाइल का और न लैपटॉप का )Why is the police fed up with them? (In this way the fraud is done, neither the place of the mobile nor the laptop is known)

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aajtaksafe@gmail.com October 12, 2024
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स्कूल में बम की अफवाह फैलाने वालों का पता क्यों नहीं लगा पा रही दिल्ली पुलिस?

वीपीएन (VPN) का इस्तेमाल कैसे इसमें बाधा बन रहा है?
(Why Delhi Police Can’t Trace Bomb Hoax Culprits? How VPN Use Hinders Investigation)

दिल्ली में पिछले कुछ हफ्तों में कई स्कूलों में बम की धमकियां मिली हैं, जिससे अभिभावकों और छात्रों में दहशत फैल गई है. हालांकि, अभी तक दिल्ली पुलिस इन अफवाहों को फैलाने वालों का पता लगाने में असफल रही है. इस असफलता के पीछे एक कारण वीपीएन (VPN) टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग हो सकता है.

वीपीएन (VPN) क्या है? (What is VPN?)

वीपीएन का मतलब वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network) होता है. यह एक ऐसी सर्विस है जो इंटरनेट पर आपकी ऑनलाइन एक्टिविटी को एन्क्रिप्ट करके सुरक्षित रखती है. एन्क्रिप्शन (Encryption) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें डाटा को एक कोड में बदल दिया जाता है, जिसे सिर्फ वही लोग समझ सकते हैं जिनके पास डिक्रिप्शन (Decryption) की key है.

वीपीएन आपका आईपी एड्रेस (IP Address) छिपा देता है, जो इंटरनेट पर आपके डिवाइस की लोकेशन को दर्शाता है. इसके बजाय, वीपीएन सर्वर का आईपी एड्रेस दिखाता है, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि आप वास्तव में कहां से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.

वीपीएन कैसे काम करता है? (How Does VPN Work?)

जब आप किसी वीपीएन सर्वर से कनेक्ट होते हैं, तो आपका इंटरनेट ट्रैफिक उस सर्वर के जरिए रूट हो जाता है. सर्वर आपके डाटा को एन्क्रिप्ट करता है और फिर उसे आपके इच्छित वेबसाइट या ऐप तक पहुंचाता है. जवाब में मिलने वाला डाटा भी एन्क्रिप्टेड होता है, जिसे वीपीएन सर्वर डिक्रिप्ट करके आपको भेजता है. इस पूरी प्रक्रिया में आपका आईपी एड्रेस छिपा रहता है और आपकी ऑनलाइन गतिविधियां इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) या किसी थर्ड पार्टी से सुरक्षित रहती हैं.

वीपीएन का असल इस्तेमाल क्या है? (What is the Actual Use of VPN?)

वीपीएन के कई सारे फायदे हैं. इसका इस्तेमाल कई लोग करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • पब्लिक वाई-फाई पर सुरक्षा: पब्लिक वाई-फाई नेटवर्क अक्सर सुरक्षित नहीं होते हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करके आप पब्लिक वाई-फाई पर भी अपने डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं.
  • सेंसरशिप को बायपास करना: कुछ देशों में इंटरनेट पर सेंसरशिप होती है. वीपीएन का इस्तेमाल करके आप उन वेबसाइटों को एक्सेस कर सकते हैं जो आपके देश में ब्लॉक हैं.
  • जियो-लॉकिंग को बायपास करना: कुछ स्ट्रीमिंग सर्विस और कंटेंट लाइब्रेरी कुछ देशों तक ही सीमित होती हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करके आप किसी दूसरे देश के सर्वर से कनेक्ट होकर उन कंटेंट को एक्सेस कर सकते हैं.

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स्कैमर्स वीपीएन का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं? (How Scammers Are Using VPN?)

हालांकि वीपीएन के कई फायदे हैं, वहीं कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल भी करते हैं. स्कैमर्स अक्सर अपनी पहचान छिपाने और लोकेशन ट्रैक करने से बचने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के लिए:

  • फिशिंग स्कैम: स्कैमर्स किसी कंपनी या बैंक का फर्जी वेबसाइट (fake website) बना सकते हैं और वीपीएन का इस्तेमाल करके अपनी असली लोकेशन छिपा सकते हैं.
  • साइबर अटैक (Cyber Attack): साइबर क्रिमिनल किसी कंपनी के नेटवर्क में घुसपैठ करने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करके अपने आईपी एड्रेस को छिपा सकते हैं. इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि हमला कहां से हुआ है.
  • ब्लैकमेलिंग: स्कैमर्स किसी व्यक्ति को धमकाने के लिए उसके बारे में निजी जानकारी इकट्ठी कर सकते हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करके वे अपनी लोकेशन छिपा सकते हैं और पकड़े जाने से बच सकते हैं.
  • ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online Fraud): क्रेडिट कार्ड फ्रॉड या अन्य ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले भी वीपीएन का इस्तेमाल करके अपनी पहचान छिपाने की कोशिश कर सकते हैं.
  • अपनी पहचान छिपाना: स्कैम का पर्दाफाश होने से बचने के लिए स्कैमर्स अक्सर वीपीएन का इस्तेमाल करके यह छिपाते हैं कि वे कहां से ऑपरेट कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, कोई विदेशी स्कैमर किसी भारतीय बैंक का फर्जी वेबसाइट बना सकता है और भारतीय वीपीएन सर्वर से कनेक्ट होकर उसे चला सकता है. इससे यह भ्रम पैदा होता है कि वेबसाइट भारत में ही स्थित है.
  • कॉल स्पूफिंग: स्कैमर्स वीपीएन का इस्तेमाल करके कॉल स्पूफिंग कर सकते हैं. कॉल स्पूफिंग में स्कैमर्स कॉलर आईडी को बदल देते हैं, जिससे ऐसा लगता है कि कॉल किसी विश्वसनीय संस्थान, जैसे कि बैंक या सरकारी विभाग से आ रही है. वीपीएन का इस्तेमाल करके वे कॉल के असली ऑरिजिन को छिपा सकते हैं.
  • ईमेल स्पूफिंग: ईमेल स्पूफिंग में भी स्कैमर्स उसी तरह से वीपीएन का फायदा उठाते हैं. वे किसी वैध कंपनी या संस्थान का ईमेल एड्रेस नकली कर सकते हैं और वीपीएन सर्वर के जरिए ईमेल भेज सकते हैं. इससे प्राप्तकर्ता को यह विश्वास हो सकता है कि ईमेल असली है.
  • साइबर अटैक को लॉन्च करना: साइबर क्रिमिनल किसी कंपनी के नेटवर्क में सेंध लगाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल कर सकते हैं. वे अपने असली आईपी एड्रेस को छिपाकर किसी दूसरे देश के वीपीएन सर्वर से कनेक्ट हो सकते हैं. इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि हमला कहां से हुआ है.
  • अकाउंट टेकओवर: अकाउंट टेकओवर में स्कैमर्स किसी व्यक्ति के सोशल मीडिया अकाउंट, ईमेल या बैंक अकाउंट को चुराने की कोशिश करते हैं. वे अक्सर वीपीएन का इस्तेमाल करके यह छिपाते हैं कि वे कहां से लॉग इन कर रहे हैं. इससे असली यूजर को यह पता नहीं चलता कि उनके अकाउंट में कोई संदिग्ध गतिविधि हो रही है.
  • DDoS अटैक: DDoS अटैक (Distributed Denial-of-Service Attack) में स्कैमर्स कई सारे संक्रमित कंप्यूटरों का इस्तेमाल करके किसी वेबसाइट या सर्वर पर ट्रैफिक का अंबार लगा देते हैं, जिससे वह वेबसाइट या सर्वर क्रैश हो जाता है. वीपीएन का इस्तेमाल करके वे हमले के असली सोर्स को छिपा सकते हैं और अधिकारियों के लिए हमलावरों को ट्रैक करना मुश्किल बना सकते हैं.

जैसा कि आप देख सकते हैं, वीपीएन स्कैमर्स के लिए एक बहुउपयोगी उपकरण है. यह उन्हें अपनी पहचान छिपाने, कॉल और ईमेल स्पूफिंग करने और अपने हमलों के असली सोर्स को छिपाने में मदद करता है.

वीपीएन (VPN) का इस्तेमाल कैसे इसमें बाधा बन रहा है? (How VPN Use Hinders Investigation)

जैसा कि हमने बताया, वीपीएन स्कैमर्स को अपनी पहचान छिपाने और लोकेशन ट्रैक करने से बचने में मदद करता है. स्कूल बम की धमकियों के मामले में भी यही हो सकता है. अपराधी किसी दूसरे देश के वीपीएन सर्वर से कनेक्ट होकर फोन कॉल कर सकते हैं या धमकी भरे ईमेल भेज सकते हैं. इससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कॉल या ईमेल कहां से आए हैं.

डार्क वेब में वीपीएन का इस्तेमाल (Use of VPN in Dark Web)

डार्क वेब इंटरनेट का एक छिपा हुआ हिस्सा है जो रेगुलर सर्च इंजन पर नहीं दिखता है. डार्क वेब तक पहुंचने के लिए खास सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है और कई बार वीपीएन का भी इस्तेमाल किया जाता है. डार्क वेब पर अवैध गतिविधियां काफी आम हैं, जिनमें साइबर क्राइम भी शामिल है. अपराधी डार्क वेब का इस्तेमाल बम बनाने की जानकारी या विस्फोटक खरीदने के लिए कर सकते हैं. वीपीएन का इस्तेमाल करके वे अपनी पहचान और लोकेशन को छिपा सकते हैं, जिससे जांच को और मुश्किल बना देता है.

क्या किया जा सकता है? (What Can Be Done?)

वीपीएन टेक्नोलॉजी को पूरी तरह से बैन करना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इसके कई वैध इस्तेमाल हैं. हालांकि, कुछ कदम उठाए जा सकते हैं ताकि अपराधियों के लिए वीपीएन का इस्तेमाल करना मुश्किल हो जाए:

कम्युनिटी अवेयरनेस: लोगों को वीपीएन के दुरुपयोग के बारे में जागरूक करना भी जरूरी है. स्कूलों और अभिभावकों को सिखाया जा सकता है कि कैसे ऑनलाइन धमकियों की पहचान करें और उनकी रिपोर्ट करें.

वीपीएन सर्विस प्रोवाइडरों के साथ सहयोग: जांच एजेंसियां वीपीएन सर्विस प्रोवाइडरों के साथ मिलकर काम कर सकती हैं. संदिग्ध गतिविधियों की पहचान करने और सबूत इकट्ठा करने में वीपीएन कंपनियों का सहयोग मिल सकता है.

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: चूंकि वीपीएन सर्वर दुनिया भर में मौजूद होते हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी जरूरी है. सूचनाओं का आदान-प्रदान और संयुक्त जांच अभियान अपराधियों को पकड़ने में मददगार हो सकते हैं.


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